|| पानी है जीवन || | |
बुन्द बुन्द जतन करो | बुन्द बुन्द से तालाब भरो | तालाब स्वच्छ साफ करो | पानी है अनमोल ||१|| बहेता पानी तुम रोको | बात यहि बोलो सबको | हर एक जन आदमी को | पानी रोज चाहिए ||२|| शहर मे तालाब बान्धो | तालाब मे पानी छोडो | छत के पानी से भर दो | शहरी इमारतोमे ||३|| कुँवे मे कचरा मत फेको | जो फेके उसको रोको | जल बहाव रुकने ना दो | हमारा है यहि लक्ष्य ||४|| जल्सम्पत्ति को बचाओगे | कुँवे का पानी पिओगे | रोज पानी वापरोगे | तब होगी जलशुद्धि ||५|| रुक गया झरना पानी का | समजो अंत है जीवन का | सोच यह जो समझ सका | वही तो है इन्सान ||६|| | पानी वापरो सम्भाल के | सबको समझाओ घर जाके | पानी मिले घर घर सबको | इस कारण हेतु ||७|| मत फेको बुन्दभरभी पानी | अकारण खर्च ना करो पानी | जमा करो बुन्द बुन्द पानी | पानी है जीवन ||८|| पानी से प्यास बुझती है | पानी से खेति उगती है | अनाज से भूक मिटती है | सभी प्राणीमात्र जन की ||९|| पेडों के लिए पौधा लगाओंगे | पौधे को पानी पीलाओगे | पौधे से पेड बनाओगे | तो छाव मिलेगी सबको ||१०|| बार बार बीज बोएजा | वन सम्पत्ति बढाए जा | जल सम्पत्ति पाएजा | मिले सबको प्राणवायु ||११|| हमको बचाना है पानी | जतन करना है पानी | पौधो को देना है पानी | पुंजी है अपने भविष्य कि ||१२|| |
सुरेश रघुनाथ पित्रे. पत्ता- " वैद्य सदन ", पहिला मजला, राघोबा शंकर रोड, लोअर चेंदणी, ठाणे (पश्चिम) , पिन कोड क्र. - ४००६०१ |
Thursday, 4 August 2011
|| पानी है जीवन ||
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